हमारे रब ने हमें अनगिनत नियामते दी हे , हवा, रौशनी, पेड़, ज़मीन, फल, सब्जी, अनाज, हम गिनते गिनते थक जायेंगे मगर वो ख़त्म न होंगी, पानी भी उसकी एक नियामत हे , इन सब नियामतों का हिसाब हमे आखरत (परलोक) में देना पड़ेगा. जो हमने इस्तेमाल की हे उनका भी और जो हमने फुजूल में बर्बाद की हे उनका भी.
एक दिन हम सुबह से शाम तक जितना भी पानी इस्तेमाल करते हे, उसका हिसाब अगर करे हो हम जानेंगे के उसमे से हमने इस्तेमाल कितना किया और बर्बाद कितना किया , हमे अंदाजा नहीं होता लेकिन छोटी छोटी चीजों में हम बहुत पानी खर्च कर देते हे , जेसे हम एक दिन में जितनी बार हाथ धोते हे अगर सिर्फ उस पानी को ही जमा किया जाये तो हमे पता चलेगा के हमने सिर्फ हाथ धोने में कितना पानी खर्च कर दिया.
हमारे भोपाल शहर में तकरीबन 400 से ज़यादा मस्जिद हे , इन सब मस्जिदों में वुजू (नमाज़ पड़ने से पहले मुह, हाथ, और सर पे पानी लगाना) का इन्तेजाम होता हे , वेसे तो जब हम मस्जिद में दाखिल (प्रवेश) हो तो हमें दुनिया जहाँ की बाते नहीं करनी चाहिए लेकिन फिर भी कई लोग वुजू करते वक़्त फालतू की बाते करते हे नल में से पानी बहता रहता हे लेकिन उनको कोई फ़िक्र ही नहीं होती.हम सभी को इस बुराई से बचना चाहिए , और जो कोई ऐसा करते हुए मिले उसे समझाना चाहिए.
वुजू करते वक़्त अगर हम अगर इन बातो का ख्याल रखे तो काफी पानी बचा सकते हे :
* वुजू करते वक़्त दुनिया जहाँ की बाते न करे.* जितनी जल्दी हो अपना वुजू ख़त्म करे.* खास तोर से जब हम सर का मसा(1/4 सर पे पानी लगाना) करते हे तो ख्याल रखे के नल बंद हो. कियोकी ज़यादातर देखा गया हे के लोग मसा करते रहते हे और नल से पानी दिरता रहता हे.* नल पूरा न खोले उससे पानी ज़यादा गिरता हे.
याद रखिये हम जितना ज़यादा पानी बर्बाद करेंगे हमारा आने वाला कल उतना ही मुश्किलों से घिरा हुआ होगा.
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1 comment:
very good write up....very informative....thanks a lot
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