Sunday, July 1, 2012

Miss U Maa....

Maa how r u, its five years I haven’t see u and babu ji … really missing u. Sapna also miss u a lot , mom pease come to me for few days , I m sending u rail ticket , ok Maa I m waiting for u Love u Maa Call disconect .. Next call : Hello doctor, no need to arrange any expensive nurse for my wife, my mom is coming.

appoitment: अपोइन्टमेंट

मुरारी बाबू के कदमो की रफ़्तार अब और तेज़ हो गई थी पीछे आने वाले दोनों आदमियों ने भी अपनी रफ़्तार तेज़ कर दी थी मुरारी बाबू कुछ समझ नहीं पा रहे थे के आखिर ये गुंडे बदमाशों की तरह दिखने वाले आज ऑफिस से ही उनके पीछे क्यों है , वेसे कल भी ऑफिस ख़त्म होने के बाद उनकी नज़र इन दोनों आदमियों पे पड़ी थी, लेकिन सरकारी दफ्तर में तो लोगो का आना जाना लगा ही रहता है और वो भी रजिस्ट्री ऑफिस जेसा दफ्तर जहा रोजाना लाखो की रिशवत का आवन होता है , इसलिए वहा इन जेसे लोगो का होना आम बात है वेसे ओहदा तो मुरारी बाबू का भी कोई कम न था कई बार इन जेसे लोगो ने उन्हें लालच की पुडिया देने की कोशिश की थी लेकिन पिताजी की नसीहत का असर था या हिम्मत की कमी जो वो आज तक रिशवत की गंदगी से बचे हुए थे क्युकी भगवान की किरपा से घर का भरण पोषण तो उनकी पगार से ही हो जाता था , बड़ी बेटी की शादी हो ही चुकी थी बस अब बड़ा बेटा बिट्टू और छोटी बेटी गुडिया की शादी ही बची है , रिटायरमेंट में अभी 4-5 साल बाकि है और गुडिया को शादी के लिए अभी 2-3 साल है , बिट्टू की पढाई तो हो ही चुकी है हा बस काफी कोशिशो के बाद भी बेचारे को सरकारी नोकरी नहीं मिल पाई , पिछले 2 साल से प्राइवेट नोकरी कर रहा था फिर भी ठीक है कम से कम अपना खर्च तो चला ही लेता है अपनी नोकरी से . हा बस बेचारा अपनी दोस्त सपना से शादी नहीं कर पा रहा है , सपना के पिता को दामाद सरकारी नोकर ही चाहिए और वो क्यों न चाहे आखिर सपना उनकी इकलोती बेटी जो है और वो खुद भी 'ए क्लास अफसर जो है , इसीलिए तो उन्होंने बिट्टू को 1 साल का समय दिया था के वो इस एक साल में कोई सरकारी नोकरी हासिल कर ले या फिर सपना को भूल जाये . इन्ही सब खयालों में मुरारी बाबू कब सुनी सड़क तक आ गये उन्हें पता ही नहीं चला बस थोड़ी ही देर में घर भी आजायेगा , पीछे मुड के देखा तो वो बदमाश भी दिखाई नहीं दिए अब जाके उनकी जान में जान आई लेकिन घबराहट की वजह से पसीना रुकने का नाम नहीं ले रहा था, बार बार पीछे मुड के देख रहे थे के अचानक पेड़ की आड़ से दोनो बदमाश निकले एक बदमाश के हाथ में कुछ चमक रहा था मुरारी बाबू कुछ समझ पाते तब तक वो चमकदार चीज़ बड़े से छुरे के रूप में मुरारी बाबू के पेट में घुस चूका था एक के बाद एक कई वार करके दोनों बदमाश भाग निकले मुरारी बाबू बस एक चीख ही निकाल सके . अगले दिन मुरारी बाबू के क़त्ल की खबर पूरे शहर में फेल गई थी उनके मोहल्ले में तो सन्नाटा पसरा हुआ था , अंतिम यात्रा में सारा मोहल्ला और ऑफिस के सभी लोग शामिल हुए अगले दिन ऑफिस के बड़े बाबू मुरारी बाबू के घर आके उनकी विधवा से बोले " भाभी जी नियम के अनुसार मुरारी बाबू की अकस्मात् मृत्यु की वजह से उनकी नोकरी अब उनके लड़के को मिल सकती है , अगले सोमवार बिट्टू को उसके सारे सर्टिफिकेट लेके दफ्तर पंहुचा देना" भगवान् एक रास्ता बंद करता है तो दूसरा खोल देता है ये सोच के मुरारी बाबू की पत्नी के आँखों में आंसू आगये कुछ दिनों बाद रात के अँधेरे में गली के नुक्कड़ पे बिट्टू से मिलने २ आदमी आये एक ने बदमाशों सी कड़कड़ी आवाज़ में बिट्टू से बोला : तुम्हारा काम हो गया तुम्हे अपोटमेंट भी मिल गया है अब हमारे पैसे निकालो बिट्टू : अरे अपोटमेंट नहीं अपोइन्टमेंट और मेने आप लोगों को यहाँ आने को माना किया था न , बाकि के पैसे अपोइन्टमेंट लैटर मिलते ही में आपको दे दूंगा आदमी : देखो बिट्टू बाबू अपोटमेंट लैटर हम कुछ नहीं जानते तुम बस बाकि के पैसो का इंतज़ाम जल्दी कर लो अगर कोई चालाकी की
 कोशिश की तो सबको पता चल जायेगा के सरकारी नोकरी के लालच में तुमने अपने पिता को ... बिट्टू उन दोनों की बात बीच में कटते हुए बोला 'बकवास बंद करो 4 दिन में तुम्हे तुम्हारे बाकि पैसे मिल जायेंगे, अब जाओ यहाँ से' ..