Saturday, January 1, 2011

आसमा....

अपनी ऊँचाई पे इतरा न ऐ आसमां
हमने बारिश में तुझे रोते हुए देखा हे
सुबह को तेरी अठखेलिय देखी हे
दोपहर में तुझे जलते हुए देखा हे
हर रोज़ तुझे इंसानों सा रंग बदलते देखा हे

पूनम का तेरा यौवन , अमावस में  मुँह छुपाते देखा हे
बादलो से  अनबन , बदली छटते तेरा अकड़ना देखा हे
हर रोज़ तुझे इंसानो सा रंग बदलते 
देखा हे
 हमको मालूम हे हकीकत तेरी ऐ आसमा
हमने बारिश में तुझे रोते हुए देखा हे।।