आज हमारा शहर पानी की जिस परेशानी से गुज़र रहा हे वो हमारे लिए नया हे लेकिन प्रदेश के कई हिस्सों में लोग इसके आदि हो चुके हे , इस परेशानी से शहर वासियों को मिल कर लड़ना पड़ेगा , यह सिर्फ प्रशासन या शासन की जिमेदारी नहीं हे , हम में से हर एक को इसके लिए कुछ कदम उठाने पड़ेंगे, आज जिसके यहाँ पानी हे वो ये सोचता हे के मेरे यहाँ तो अभी पानी हे में तो अपना कॉम करू , हमे लागता हे पानी का टेंकर मंगवा लेंगे लेकिन वो टेंकर जिस कुए या ट्यूब वेल से पानी ला रहा हे उसमे क्या हमेशा पानी रहेगा ? आज ज़रुरत हे के हम रोज़ जो पानी खर्च करते हे उसमे जितनी हो सके कटोती करे , उसे सही तेरह से मेनेज हमे ही करना पड़ेगा उसके लिए शासन या प्रशासन कुछ नहीं कर सकते .इस वक़्त भी अगर हम पानी को लेकर फिक्रमंद नहीं हुए तो ......... वो दिन दूर नहीं जब
रोज़ सुबह अखबारों की हेड लाइन कुछ इस तेरह की होगी ....
( शहर में लूट की वारदाते थमने का नाम नहीं ले रही हे , कल भी दो अलग अलग जगह पे महिलाओ के गले से बदमाश पानी की बोतल झपट कर भागे )
(जिन बंदूकधारी लुटेरो ने पिछले हफ्ते दिन दहाड़े शहर की नमी होटल से दस लीटर पानी लूटा था पुलिस को आज तक उनका कोई सुराग नहीं मिला हे )
(कल CBI ने एक और सरकारी अफसर को एक लीटर पानी की घूस लेते पकडा )
(इस बार भोपाल मेले का आयोजन बड़े तलब के मैदान में रखा गया हे )
लड़की की बारात लोट जायेगी क्युकि लड़की का पिता दहेज़ में 10 लीटर पानी नहीं दे सकेगा ...
हिंदी फिल्मो के डायलाग बदल जायेंगे .....
(हीरो हिरोइन से ...जी चाहता हे तुम्हारी इन झील जेसी आँखों से २ बाल्टी पानी भर लू )
(हेरोइन हीरो से ... लोग तो प्यार में आसमान से तारे तोड़ लाते हे और तुम मेरे नहाने के लिए 2 बाल्टी पानी नहीं ला सकते )
(मेरे पास दोलत हे, बंगला हे, गाड़ी हे तुम्हारे पास क्या हे ....... भाई मेरे पास पानी हे )
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