Saturday, May 2, 2009

पुस्तक प्रेमी :

जब भी में ब्रिटिश लाइब्रेरी जो की अब (स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी ) हे जाता हु और वहा तकरीबन सभी उम्र के लोगो को देखता हु जो किताबो में खोये रहते हे तो बड़ी खुशी होती हे के आज के कंप्यूटर, इन्टरनेट के ज़माने में भी किताबो को चाहने वाले उन्हें पड़ने वाले मोजूद हे ।
कुछ दिन पहले विवेकानंद लाइब्रेरी ने रीडर सफारी नाम का कार्यक्रम आयोजित किया था जो की काफी सफल रहा। तब भी मुझे लगा के भोपाल में किताबो और लिब्रेरियो को चाहने वालो की कोई कमी नही, जो की किसी भी शहर के लिए बड़ी खुशनसीबी की बात हे ।
मुझे वो दिन भी याद हे जब ब्रिटिश कोंसिल ने लाइब्रेरी बंद करने का फेसला लिया था , और केसे हमारे पुस्तक और लिब्रेरी प्रेमियों ने रो रो कर अलविदा कहा था , किस तरहा विरोध और प्रदर्शन का सिलसिला चला था के आखिरकार हमारी सरकार को आगे आना पड़ा और लाइब्रेरी को गोद लेना पड़ा । सलाम करता हु में उन सभी लोगो को जिनकी महनत और कोशिश ने एक लाइब्रेरी को बचा लिया।
जितनी खुशी इन सब बातो से होती हे उतनी ही तकलीफ मुझे हमारे शहर की दूसरी लिब्ररियो की हालत देख कर होती हे सेंट्रल लाइब्रेरी जिसकी शुरुआत भोपाल रियासत के नवाब ने की थी जिसकी ईमारत अपने आप में एक नमूना हे , यहाँ पे मोजूद किताबे आज देश की दूसरी लिब्ररियो में मिलना मुश्किल हे , लेकिन यहाँ आने वालो में सिर्फ़ वो ही लोग हे जो यहाँ सिर्फ़ न्यूज़ पेपर पड़ने आते हे , यहाँ की किताबो को भी इंतज़ार हे उन लोगो का जो लाइब्रेरी को बचाने के लिए आंसू बहाते हे , सिर्फ़ सेंट्रल लाइब्रेरी ही नही उसकी तेरह और भी कई लाइब्रेरी जिन्हें इंतज़ार हे उनलोगों का जो किताबो से दोस्ती करते हे उन्हें चाहते हे । वरना कही इन लिब्ररियो की बूढी आँखे अपनी किताबो को छूने वालो का इंतज़ार करते करते कही बंद ही न हो जाए ।

9 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

जाल जगत पर आपका स्वागत है।

श्यामल सुमन said...

रचना में सकरात्मक चिन्तन है। इस पुस्तक प्रेम को आगे बढ़ायें। शुभकामना।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

Unknown said...

pustakon ka mahatva kabhi khatma nahi hoga chahe internet kitna bhi aage kyon na nikal jaye, thik usi prakaar jaise roti ka mahatva kabhi khatma nahi hoga chahe pizza aur burger ghar-ghar kyon na pahunch jaye.......AAPKE SARTHAK LEKH K LIYE HARDIK BADHAI
-albela khatri

रचना गौड़ ’भारती’ said...

एक अच्छी सोच के लिए बधाई। मेरे ब्लोग पर आने के बाद देखें शायद कुछ मिल जाए। आपका स्वागत है।

हिन्दीवाणी said...

बहुत शानदार ब्लॉग है आपका। लिख भी अच्छा रहे हैं। समय निकालकर मेरे ब्लॉग पर भी आएं।

उम्मीद said...

आप की रचना प्रशंसा के योग्य है . लिखते रहिये
चिटठा जगत मैं आप का स्वागत है

गार्गी
www.abhivyakti.tk

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

narayan narayan

Sanjay Grover said...

हुज़ूर आपका भी ..एहतिराम करता चलूं .........
इधर से गुज़रा था, सोचा, सलाम करता चलूं ऽऽऽऽऽऽऽऽ

ये मेरे ख्वाब की दुनिया नहीं सही, लेकिन
अब आ गया हूं तो दो दिन क़याम करता चलूं
-(बकौल मूल शायर)

दिल दुखता है... said...

हिंदी ब्लॉग की दुनिया में आपका तहेदिल से स्वागत है....