राज़ उनको बता के उल्फत का,
बंद होंटो की मुस्कुराहट को हमने देख लिया।
ख़बर आने की उनके जब भी आई,
ताल्लुक तोड़ के के यारो से हमने देख लिया ।
दो घड़ी के तेरे दीदार की हसरत में,
सर्द रातो में इंतेज़ार कर के देख लिया ।
आप से दिल्लगी बस मेरी दोस्ती थीं,
उनके इस तीर से दिल अपना छलनी करके देख लिया।
राज़ उनको बता के उल्फत का,
उनकी बेरुख़ी की इंतेहा को हमने देख लिया ।।
"शर"
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