दो बहनों में एक थी वो
भोली सी मासूम
परियो की गुडिया के जेसी
नाम था उसका टिन्नी..
टिन्नी को बस ये लगता था
बडकी चलाती अपनी धाक
मम्मी पापा भी तो हर दम
देते थे बडकी का साथ
येही सोच के छोटी टिन्नी
हो जाती थी बहुत उदास....हो जाती थी बहुत उदास...
फिर हुआ यु इक बार
सर्द हवा ने टिन्नी को जब दिया बुखार
नींद उड़ी मम्मी पापा की
बडकी भी हो गई उदास
कई राते जगी थी सब ने टिन्नी के ही आस पास
तब जाके जाना टिन्नी ने
कितना सब करते है प्यार ...कितना सब करते है प्यार...
सोला का जब हुआ था सावन
मोसम ने भी बदली करवट
बडकी हो गई थी सायानी
टिन्नी का बाकि भोलापन
ऐसे में इक दिन अचानक
आया था इक राजकुमार
सब बातो से बेखबर दोनों
झूल रही सावन का झूला..
राजकुमार ने मम्मी पापा से
मांग लिया बडकी का हाथ
पार गया वो सात समंदर
बडकी को लेके अपने साथ
जाते जाते बडकी ने टिन्नी को यु गले लगाया
जेसे हो वो उसी का साया.... जेसे हो वो उसी का साया...
धीरे धीरे समय था गुज़रा
टिन्नी भी हो चली सियानी
अब वो भी करती थी अपने राजकुमार का इंतज़ार
मन में उसके इक डर था
नहीं मिलेगा उसको कोई राजकुमार...नहीं मिलेगा उसको कोई राजकुमार...
इक दिन ऐसे ही टिन्नी के पास आया इक जोगी
था वो बिलकुल मस्त मोला अपने मन का भोगी
जोगी वो मस्तान था
न कोई वारिस न सामान था
वो जोगी भी हुआ दीवाना
टिन्नी की मतवारी आँखों का
पर कुछ ऐसा था उसमे जो टिन्नी को था खूब लुभाता
अपनी मोहक बातो से वो टिन्नी को था खूब हसाता....टिन्नी को था खूब हसाता
चाँद की शीतल रात में इक बार
टिन्नी से वो मिलने आया
देख के उसकी मोहनी आँखे
टिन्नी को कुछ समझ न आया
हरयाली फूलो के उपर
टिन्नी को वो लेके आया
जोगी के मतवारे नेनो में
टिन्नी खो गई सब भुलाके...टिन्नी खो गई सब भुलाके
भोर ने अपना अंचल खोला
चिडियों ने जब शोर मचाया
आँख खुली टिन्नी की जब
खुद को इक जंगले में पाया
तभी किसी की आहट ने
टिन्नी का था धयान हटाया
सफ़ेद घोड़े पे आया कोई
था वो देश का राजकुमार..था वो देश का राजकुमार...
टिन्नी से वो यु बोला ,तुम ही तो हो मेरा प्यार,
टिन्नी के तो होश खो गए
'में केसे हो सकती हु इक राजकुमार का प्यार
फिर टिन्नी को बहो में भरके
घोड़े पर वो हुआ सवार
अगर जो पूछा राजकुमार ने 'तुम यहाँ केसे आई'
येही सोच के टिन्नी की दोनों आँखे थी भर आई
केसे बताये वो राजकुमार को उस कपटी जोगी की बात
जिसने करके मोहक बातें छोड़ दिया जंगले में लाके
राजकुमार ने फिर बोला
'इक जोगी महल में आया था
मेरा जीवन साथी यहाँ मिलेगा ऐसा मुझे बताया था'
टिन्नी को कुछ समझ न आया
था ये कोई सपना या उस जोगी की माया....उस जोगी की माया
दूर पहाड़ी पर से कोई
दोनों को था देख रहा
गोर से देखा टिन्नी ने
वो उस जोगी का चेहरा था
देख के उनकी सुन्दर जोड़ी
जोगी भी मुस्कुराया था
राजकुमार ने जब ढूंडा
वो कही नज़र न आया था....वो कही नज़र न आया था...
अब टिन्नी उस राजकुमार के राजमहल की रानी थी
छोटी प्यारी सी ये टिन्नी की कहानी थी ...टिन्नी की कहानी थी...
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1 comment:
:) bht khoob..beautiful story n poetry .<3
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