Wednesday, August 12, 2009

Sarfaroshi ki Tamanna ..


It is the irony of our country that we remember our country , our freedom fighters our freedom movement only at the time of 15th Aug. or 26th Jan.
We can easily find many Indians who even don’t know the full name of Mahatma Gandhi. Rests freedom fighters are too far.

Friends I am trying to bring the life of some of our freedom movement Heroes who had been forgotten. Let’s know to those because of whom we are living happily in an independent nation….

Pandit Ram Prasad Bismil was one of the famous freedom fighter who was involved in the historic Kakori train robbery. He was born in 1897 at Shahjahanpur, Uttar Pradesh. His team members consisted of great freedom fighters like Ashfaqulla Khan, Chandrasekhar Azad, Bhagawati Charan, Rajguru and many more

Ramaprasad learnt Hindi from his father and was sent to learn Urdu from Moulvi.
He was a great poet and Bismil was his pen name, several inspiring patriotic verses are attributed him, of which Sarfaroshi ki Tamanna is the most well known. All of his poems have the intense patriotic feeling.

On 9th August, 1925, Ram Prasad Bismil along with his fellow followers looted the money of the British government from the train while it was passing through Kakori, Lucknow. Except Chandrashekhar Azad, all other members of the group were arrested. Ram Prasad Bismil along with others was given capital punishment. This great freedom fighter of India was executed on 19th December, 1927.

lets have read this heart touching poem by him.

SARFAROSHI KI TAMANNA

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है

(ऐ वतन,) करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत, देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है

ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत, मैं तेरे ऊपर निसार,

अब तेरी हिम्मत का चरचा ग़ैर की महफ़िल में है

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
वक़्त आने पर बता देंगे तुझे, ए आसमान, हम अभी से क्या बताएँ क्या हमारे दिल में है

खेंच कर लाई है सब को क़त्ल होने की उमीद,आशिकों का आज जमघट कूचा-ए-क़ातिल में है

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
है लिए हथियार दुश्मन ताक में बैठा उधर,और हम तैयार हैं सीना लिए अपना इधर।

ख़ून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्क़िल में है, सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
हाथ, जिन में है जूनून, कटते नही तलवार से,सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से।

और भड़केगा जो शोला सा हमारे दिल में है, सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

हम तो घर से ही थे निकले बाँधकर सर पर कफ़न, जाँ हथेली पर लिए लो बढ चले हैं ये कदम।

ज़िंदगी तो अपनी मॆहमाँ मौत की महफ़िल में है, सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


यूँ खड़ा मक़्तल में क़ातिल कह रहा है बार-बार, क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है?

दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब,होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको न आज।

दूर रह पाए जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है, सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमे न हो ख़ून-ए-जुनून क्या लड़े तूफ़ान से जो कश्ती-ए-साहिल में है सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है

Now lets read the abridged version of this poem that was recited by Piyush Mishra in the 2009 movie GULAL. It is also an satire on today's scenario.


सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है , देखना हे ज़ोर कितना बाजू ऐ कातिल में हे

वक़्त आने दे बता देंगे तुझे ए आसमां, हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है

ओ रे बिस्मिल काश आते आज तुम हिन्दोस्तां, देखते कि मुल्क सारा यूँ टशन में, थ्रिल में हे

आज का लड़का तो कहता हम तो बिस्मिल थक गए, अपनी आज़ादी तो भैया लौंडिया के तिल में है

आज के जलसों में बिस्मिल एक गूंगा गा रहा, और बहरों का वो रेला नाचता महफ़िल में है

हाथ की खादी बनाने का ज़माना लद गया, आज तो चड्डी भी सिलती इंग्लिसों की मिल में है

वक़्त आने दे बता देंगे तुझे ए आसमां, हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ुए क़ातिल में है

No comments: